Thursday 8 November 2012

लगता है आज हमें नींद नहीं आएगी

लगता है आज हमें नींद नहीं आएगी 
आ आ कर हर पल तेरी याद यूँही  सताएगी 

काश की दो पल और ही मिल जाते 
हम भी तुम भी कुछ और भी कह पाते 

ज़िन्दगी में आई थी गर ख़ुशी दो पल की 
जीली  थी हमने उम्र भर'फिर  हँसी की 

डाली थी नज़रें जब तेरी नज़रों में 
समझा था खुदा सा उस  लम्हे को  

शायद यह मेरी ख़ुशी रास भी  न आई 
दुआ सी थी निकली पर  बद  दुआ  कहलाई 

तड़पती हूँ जैसे मैं आज बिन पानी 
जैसे हो मछली कभी एक रानी 

नींद तो शायद ओझिल हुई है 
आँखें भी नम  हैं , बोजिल हुई हैं 


जाने कहाँ फिर मिलूंगी मैं  तुमसे 
हदें भी बहुत हैं समय पाश डसते 

सपनों  की दुनिया में मिलने तो आना 
आना  मगर तुम कभी न सताना 

देना मुझे  तुम वही इक ख़ुशी सी
जो देते हो तुम ही इक मीठी हसीं सी 


लगता है आज हमें नींद नहीं आएगी 
आ आ कर हर पल तेरी याद यूँही  सताएगी 

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