Saturday 11 August 2012

woh nanhi si ladki

आज  फिर  से   लगा    की  
साथ   तुम   ही   थे   मेरे 
जिससे  थे  मैंने  
जन्मों     के   बंधन  जोड़े 
आज   आँखों   में    थी  
 वही   प्यार    वाली    बात 
जब   चुराया था   तूने  
मेरा   हर   जज़्बात 
की  तुम   ही   तो  हो
  जिसे   मैंने   था   चाहा 
तुम्ही  जिसने   भरकर
 फिर  बाहों  में   उठाया 
 तुम्ही   ने   मांग  मैं
 सिन्दूर    भी  था   डाला 
और   फिर  मैंने  
तुमपर   सब   वार   डाला 
   जाने  कहाँ   थे 
अब   तक   तुम  साथी  
क्या  वहां   तुम्हे  
मेरी   याद     सताती
की  ऐसे  था  थामा 
तुमने पहली  बार 
वोह  बारिश  का  लम्हा 
वोह  तनहा  सी रात 
 आज   लौटे  हो  
जैसे  कोई  अजनबी  थे
मेरी   जान   तुम  तो
कही  मुझमे  ही  थे 
  जाना  अब  कभी
मुझे   फिर  से  तनहा  छोड़ 
 की   भी   पाओ 
हमे  पा  भी    पाओ 
की    रह    जाए   इक
सन्नाटे    का    मोड़
क्योंकि
वोह  नन्ही  सी  लड़की
जिसने   दिल  दिया था 
छुपी  है  अभी  भी
किसी कोने में
ही 



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