Monday 17 October 2011

main kaun hoon

मैं क्या हूँ  
क्या नहीं
मैं कौन हूँ
कौन नहीं
यह पता नहीं
यह पता नहीं

मुझे किस दिशा
की तलाश थी
यह पता था
मुझे सदियों से
पर अब यह मुझे
क्या हो रहा
की दिशा का
मुझे पता नहीं

वह
प्यार था
या यह प्यार है
या दोनों ही है सच
पर मैं तो मैं ही थी
हमेशा से
अब 'मैं' का मुझे पता नहीं

यह आज कैसी चली आंधी
की उड़ा ले चली मेरे वजूद को
वह मेरे मैं को ले उड़ी
अब क्या बचा है
यह पता नहीं



3 comments:

  1. OMG ! surprised ! hindi poetry for a change? nice thought in its simplest form .. and a really adorable picture mam :):)

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  2. this 1's really...good mam..!!!
    u do pretty well in Hindi too..!! haha
    awesome mam...!! :)

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