Friday 26 April 2013

yaadein

कहाँ हो तुम 
ढूँढती हूँ तुम्हे मैं हर पल 
अभी कल की ही तो बात लगती है
जब हँसते  थे तुम मुझे देखकर
 खाली भरी आँखों में 
प्यार सा भरा था ,
एक सैलाब सा भरा था 
छोड़ कर जब गए थे,
छोटी  सी आँखों में आसूं भी दिखे थे मुझे 
हैरान सी हूँ क्या तुम वही हो 
भेजती  हूँ कई पैगाम 
पर खाली चिट्टी वापिस लौट आती है 
तेरे उस प्यार को इक झूठ बता जाती है 
अभी भी जब तुमने चाहा  था उस रोज़ 
तब तो बात की थी प्यार से ही
 फिर अचानक अगले ही दिन 
फिर वही ख़ामोशी सी थी 
एक छट पटाहट  एक बेचैनी 
जो थी तुझमे मेरे लिए 
लगता' है उसकी 
अब कोई और वजह है ,
मेरे ही पढाई गए पाठ 
,अब खुद मुझ पर ही भारी हैं  
काश तुम होते मेरे टीचर  
और मैं एक स्टूडेंट 
लगा  तो पाती 
कुछ और नया लॉजिक 
यह यादें ही बचीहैं अब 
न जाने बस कब तक 

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