Thursday, 2 August 2012

milte hi tumne...

मिलते ही तुमने क्या जादू कर डाला है
मेरी  रूह पर इक मरहम लगा डाला है  

मर गए सारे ग़मों के वो साए
उनको इक हँसी  से दफना डाला है
मेरी  रूह पर इक मरहम लगा डाला है  

सोचा न था कभी ऐसा भी होगा
इकरार न होगा इनकार न होगा
फिर भी होगी इक ख़ुशी नयी सी
इस बात का मुझे इल्म करा डाला है
मेरी  रूह पर इक मरहम लगा डाला है  

बातें न थी कोई अनकही सी
जज़्बात भी रखे थे मैंने छुपा कर
मेरी जान फिर भी तूने पढ़ ली कहानी
और इक नया अंत  भी लिख डाला है
मेरी  रूह पर इक मरहम लगा डाला है  

न जाने फिर मिलोगे या नहीं
न जाने तुम यह कहोगे या नहीं
कि तुमने भी देखा ,तुमने भी समझा
वो पन्ना जो हमने वहीँ फाड़ डाला है
मेरी  रूह पर इक मरहम लगा डाला है

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